बघेलखंड स्पेशल

जीवन का संघर्ष -भटके हुए राह के राही, आकर आगे भांप लो

भटके हुए राही

भटके हुए राह के राही,
आकर आगे भांप लो।
जीवन की राह जटिल है,
तुम ही हमको थाम लो।।

दिशा दिखाई है तुमने,
तुमने ही मुझे सभाला
मन की नैया डूब न जाये
उसे किनारे बांध लो।।

आंख है मेरी, सपने तेरे,
चलते तुम हो पग है मेरे
होता भोर तुमसे ही
दीप सांध्य का जला लो।।

आधियारा है मन विचलाता
बाती इसमें डाल लो
भटके हुए राह के राही
आगे आकर भांप लो।।

कवि और लेखक – दिनकर प्रसाद पाण्डेय

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